Qiyam ul Laiyl – Taraweeh
मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) से सुना आप (ﷺ) रमज़ान के फ़ज़ायल बयान फ़रमा रहे थे कि जो शख़्स भी उसमें ईमान और एहतिसाब के साथ (रात में) नमाज़ के लिये खड़ा ... Read MoreRead More
मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) से सुना आप (ﷺ) रमज़ान के फ़ज़ायल बयान फ़रमा रहे थे कि जो शख़्स भी उसमें ईमान और एहतिसाब के साथ (रात में) नमाज़ के लिये खड़ा ... Read MoreRead More
नबी करीम (ﷺ) के साथ हमने सेहरी खाई फिर आप (ﷺ) सुबह की नमाज़ के लिये खड़े हुए। मैंने पूछा कि सेहरी और अज़ान मैं कितना फ़ासला होता था तो ... Read MoreRead More
अब्दुल्लाह-बिन-अब्बास (र) ने कहा, नबी करीम (ﷺ) सख़ावत और ख़ैर के मामले में सबसे ज़्यादा सख़ी थे और आप (ﷺ) की सख़ावत उस वक़्त और ज़्यादा बढ़ जाती थी जब ... Read MoreRead More
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया, रोज़ा दोज़ख़ से बचने के लिये एक ढाल है इसलिये (रोज़ेदार) न गन्दी बातें करे और न जहालत की बातें और अगर कोई शख़्स उस से ... Read MoreRead More
हज़रत अबू-हुरैरा (र) बयान करते हैं कि हम नबी (ﷺ) की ख़िदमत में हाज़िर थे कि इतने में एक आदमी ने आप की ख़िदमत में हाज़िर हो कर कहा : ... Read MoreRead More
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : रोज़ेदार के लिये दो ख़ुशियाँ हैं : एक ख़ुशी इफ़्तार करते वक़्त होती है और दूसरी इस वक़्त होगी जब वो अपने रब से मिलेगा। ... Read MoreRead More
हज़रत अबू-हुरैरा (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : हर चीज़ की ज़कात है। जबकि जिस्म की ज़कात रोज़ा है। Mishkat 2072* (*यह हदीस जईफुल असनाद है।) ... Read MoreRead More
हज़रत मुआज़ा अदविया (र) से रिवायत है कि उन्होंने आयशा (र) से कहा : हायज़ा का क्या मामला है कि वो रोज़े की क़ज़ा देती है और नमाज़ की क़ज़ा ... Read MoreRead More
हज़रत आयशा (र) बयान करती हैं कि हमज़ा-बिन-अम्र असलमी (र) बहुत ज़्यादा रोज़े रखा करते थे। उन्होंने नबी (ﷺ) से कहा : में दौराने-सफ़र रोज़ा रख लिया करूँ? आप ﷺ ... Read MoreRead More
हज़रत अबू-हुरैरा (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : जो शख़्स किसी रुख़सत (छूट) (सफ़र वग़ैरा) और मर्ज़ के बग़ैर रमज़ान का एक रोज़ा छोड़ दे तो ... Read MoreRead More