मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) से सुना आप (ﷺ) रमज़ान के फ़ज़ायल बयान फ़रमा रहे थे कि जो शख़्स भी उसमें ईमान और एहतिसाब के साथ (रात में) नमाज़ के लिये खड़ा हो उसके पिछले तमाम गुनाह माफ़ कर दिये जाएँगे।
Sahih Bukhari 2008
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया, जिसने रमज़ान की रातों में ( बेदार रह कर) नमाज़े-तरावीह पढ़ी ईमान और एहतिसाब के साथ उसके अगले तमाम गुनाह माफ़ हो जाएँगे। इब्ने-शहाब ने बयान किया कि फिर नबी करीम (ﷺ) की वफ़ात हो गई और लोगों का यही हाल रहा (अलग अलग अकेले और जमाअतों से तरावीह पढ़ते थे) उसके बाद अबू-बक्र (र) के दौरे-ख़िलाफ़त मैं और उमर (र) के शुरूआती दौरे-ख़िलाफ़त मैं भी ऐसा ही रहा