Jahannum ki Aag se Dhaal

0 Comments

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया, रोज़ा दोज़ख़ से बचने के लिये एक ढाल है इसलिये (रोज़ेदार) न गन्दी बातें करे और न जहालत की बातें और अगर कोई शख़्स उस से लड़े या उसे गाली दे तो उसका जवाब सिर्फ़ ये होना चाहिये कि मैं रोज़ेदार हूँ (ये अलफ़ाज़) दो मर्तबा (कह दे) उस ज़ात की क़सम! जिसके हाथ में मेरी जान है रोज़ेदार के मुँह की बू अल्लाह के नज़दीक कस्तूरी की ख़ुशबू से भी ज़्यादा पसन्दीदा और पाकीज़ा है (अल्लाह तआला फ़रमाता है) बन्दा अपना खाना पीना और अपनी शहवत मेरे लिये छोड़ देता है रोज़ा मेरे लिये है और मैं ही उसका बदला दूँगा और (दूसरी) नेकियों का सवाब भी असल नेकी के दस गुना होता है।
Sahih Bukhari 1894