Uss majdur ki majduri kya honi chahiye?

हज़रत अनस (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : जब शबे-क़द्र होती है, तो जिब्रील (अ) फ़रिश्तों की जमाअत में तशरीफ़ लाते हैं। तो वो शानवाले अल्लाह ... Read MoreRead More

0 Comments

Shabe Qadr ki Raaton me konsi Dua padhi jaye ?

हज़रत आयशा (र) बयान करती हैं। मैंने कहा : अल्लाह के रसूल! मुझे बताएँ अगर में जान लूँ कि कौन-सी रात शबे-क़द्र है, तो में इसमें किया दुआ करूँ? आप ... Read MoreRead More

0 Comments

Sadqa e Fitra kitna dein ?

सदका ए फीत्र कितना दें ? जिस तरह से आज के ज़माने में कुछ चीज का नाप तोल उसके पैमाइश में होता है जैसा की ग्राम, किलो ग्राम, लीटर वगेरह ... Read MoreRead More

0 Comments

Usney Quran ko samjha hi nahi

हज़रत अब्दुल्लाह-बिन-अम्र (र) से रिवायत है कि नबी ﷺ ने उनसे फ़रमाया था : क़ुरआन करीम को एक महीने में ख़त्म किया करो। उन्होंने कहा : मुझे इससे ज़्यादा की ... Read MoreRead More

0 Comments

Ramdan Karim ke Aakhri ashra me ibadat ke liye kamar basta ho jao

हज़रत आयशा (र) बयान करती हैं। रसूलुल्लाह ﷺ जिस क़द्र आख़िरी अशरे में (इबादत और सख़ावत करने की) कोशिश करते थे। वो उसके अलावा किसी और वक़्त नहीं करते थे। ... Read MoreRead More

0 Comments

Kahin tum par farz na kardi jaaye

सैयदा आयशा (र) नबी ﷺ की बीवी से रिवायत हुई है कि नबी ﷺ ने मस्जिद में नमाज़ पढ़ी (यानी रमज़ान की रात में क़ियाम फ़रमाया) तो लोगों ने भी ... Read MoreRead More

0 Comments

Itikaf ki Fazilat

हज़रत आयशा (र) से रिवायत है कि नबी (ﷺ) रमज़ान के आख़िरी अशरे में ऐतिकाफ़ करते रहे यहाँ तक कि अल्लाह ने उन्हें वफ़ात दे दी। फिर आप की वफ़ात ... Read MoreRead More

0 Comments

Shabe Qadr ki Talash

हज़रत आयशा (र) बयान करती हैं। रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : रमज़ान के आख़िरी दशक की ताक़ रातों में शबे-क़द्र तलाश करो। बुख़ारी Mishkat 2083 हज़रत इब्ने-उमर (र) बयान करते ... Read MoreRead More

0 Comments

Meri Aankh soti hai mera Dil nahi sota

अबू सलमाह बिन अब्दुर रहमान ने हजरत आयशा से पूछा कि रसूलुल्लाह (ﷺ) (तरावीह या तहज्जुद की नमाज़) रमज़ान में कितनी रकअतें पढ़ते थे? तो उन्होंने बतलाया कि रमज़ान हो ... Read MoreRead More

0 Comments

Qari ke pichhe Bajamat Taraweeh

हजरत अब्दुल रहमान बिन अब्दुल कारी फरमाते हैं कि मैं उमर-बिन-ख़त्ताब (र) के साथ रमज़ान की एक रात को मस्जिद में गया। सब लोग अलग-अलग और मुन्तशिर थे कोई अकेला ... Read MoreRead More

0 Comments