सैयदा आयशा (र) नबी ﷺ की बीवी से रिवायत हुई है कि नबी ﷺ ने मस्जिद में नमाज़ पढ़ी (यानी रमज़ान की रात में क़ियाम फ़रमाया) तो लोगों ने भी आपके साथ नमाज़ पढ़ी। आपने अगली रात फिर नमाज़ पढ़ी तो लोग भी बहुत हो गए। फिर जब वो तीसरी रात जमा हुए तो रसूलुल्लाह ﷺ घर से निकले ही नहीं। जब सुबह हुई तो फ़रमाया : तुमने जो किया वो मैंने देखा है और मुझे तुम्हारी तरफ़ निकलने से बस यही रुकावट रही कि मुझे अन्देशा हुआ कहीं ये नमाज़ तुम पर फ़र्ज़ न कर दी जाए। और ये रमज़ान की बात है।