
Jahannum ki Aag se Dhaal
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया, रोज़ा दोज़ख़ से बचने के लिये एक ढाल है इसलिये (रोज़ेदार) न गन्दी बातें करे और न जहालत की बातें और अगर कोई शख़्स उस से ... Read MoreRead More
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया, रोज़ा दोज़ख़ से बचने के लिये एक ढाल है इसलिये (रोज़ेदार) न गन्दी बातें करे और न जहालत की बातें और अगर कोई शख़्स उस से ... Read MoreRead More
हज़रत अबू-हुरैरा (र) बयान करते हैं कि हम नबी (ﷺ) की ख़िदमत में हाज़िर थे कि इतने में एक आदमी ने आप की ख़िदमत में हाज़िर हो कर कहा : ... Read MoreRead More
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : रोज़ेदार के लिये दो ख़ुशियाँ हैं : एक ख़ुशी इफ़्तार करते वक़्त होती है और दूसरी इस वक़्त होगी जब वो अपने रब से मिलेगा। ... Read MoreRead More
हज़रत अबू-हुरैरा (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : हर चीज़ की ज़कात है। जबकि जिस्म की ज़कात रोज़ा है। Mishkat 2072* (*यह हदीस जईफुल असनाद है।) ... Read MoreRead More
हज़रत मुआज़ा अदविया (र) से रिवायत है कि उन्होंने आयशा (र) से कहा : हायज़ा का क्या मामला है कि वो रोज़े की क़ज़ा देती है और नमाज़ की क़ज़ा ... Read MoreRead More
हज़रत आयशा (र) बयान करती हैं कि हमज़ा-बिन-अम्र असलमी (र) बहुत ज़्यादा रोज़े रखा करते थे। उन्होंने नबी (ﷺ) से कहा : में दौराने-सफ़र रोज़ा रख लिया करूँ? आप ﷺ ... Read MoreRead More
हज़रत अबू-हुरैरा (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : जो शख़्स किसी रुख़सत (छूट) (सफ़र वग़ैरा) और मर्ज़ के बग़ैर रमज़ान का एक रोज़ा छोड़ दे तो ... Read MoreRead More
नबी (ﷺ) के किसी सहाबी से रिवायत है। उन्होंने कहा : मैंने मक़ाम अरज पर नबी (ﷺ) को हालते-रोज़ा में प्यास या गर्मी की वजह से सिर पर पानी डालते ... Read MoreRead More
हज़रत आमिर-बिन-रबीआ (र) बयान करते हैं कि मैंने अन-गिनत मर्तबा नबी (ﷺ) को रोज़ा की हालत में मिस्वाक करते हुए देखा है। Mishkat 2009* (*यह हदीस जईफुल असनाद है।) ... Read MoreRead More
हज़रत अबू-हुरैरा (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : जिस शख़्स को रोज़े की हालत में क़ै (उल्टी)आ जाए तो उसपर कोई क़ज़ा नहीं और जो शख़्स ... Read MoreRead More