Safar me Roza rakho ya na rakho uski ijazat hai

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हज़रत आयशा (र) बयान करती हैं कि हमज़ा-बिन-अम्र असलमी (र) बहुत ज़्यादा रोज़े रखा करते थे। उन्होंने नबी (ﷺ) से कहा : में दौराने-सफ़र रोज़ा रख लिया करूँ? आप ﷺ ने फ़रमाया : अगर तुम चाहो तो रोज़ा रखो और अगर तुम चाहो तो न रखो। (मुत्तफ़क़ अलैह)
Mishkat 2019
हज़रत अबू-सईद ख़ुदरी (र) बयान करते हैं कि हम ने सोलह रमज़ान को रसूलुल्लाह ﷺ के साथ में जिहाद किया हममें से कुछ ने रोज़ा रखा हुआ था और कुछ ने रोज़ा नहीं रखा हुआ था। न रोज़ेदार ने रोज़ा न रखने वाले को ऐबदार समझा और न इफ़्तार करने वाले ने रोज़ेदार को ऐबदार समझा । मुस्लिम
Mishkat 2020
हज़रत जाबिर (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ सफ़र में थे कि आप ने हुजूम (भीड़) और एक आदमी देखा जिस पर साया किया हुआ है, तो आप ﷺ ने फ़रमाया : उसे क्या हुआ? सहाबा ने कहा : रोज़ेदार है। आप ﷺ ने फ़रमाया : सफ़र में रोज़ा रखना कोई नेकी नहीं। (मुत्तफ़क़ अलैह)
Mishkat 2021
हज़रत अनस (र) बयान करते हैं कि हम नबी (ﷺ) के साथ शरीके-सफ़र थे। हममें से कुछ रोज़े से थे और कुछ ने रोज़ा नहीं रखा हुआ था एक सख़्त गर्म दिन में हमने एक जगह पड़ाव डाला तो रोज़ेदार तो (निढाल हो कर) गिर पड़े जबकि जिन लोगों ने रोज़ा नहीं रखा हुआ था वो खड़े हुए और उन्होंने ख़ेमे लगाए और सवारियों को पानी पिलाया तो रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : आज रोज़ा न रखने वाले अज्र ले गए। (मुत्तफ़क़ अलैह)
Mishkat 2022
हज़रत इब्ने-अब्बास (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ मदीना से मक्का के लिये रवाना हुए तो आप ने रोज़ा रखा यहाँ तक कि आप मक़ाम असफ़ान पर पहुँचे तो आप ने पानी मँगाया और उसे हाथ से बुलन्द किया ताकि लोग उसे देख लें इसलिये आप ने रोज़ा इफ़्तार कर लिया। यहाँ तक कि आप मक्का पहुँच गए और ये रमज़ान का वाक़िआ है। इब्ने-अब्बास (र) फ़रमाया करते थे। रसूलुल्लाह ﷺ ने (दौराने-सफ़र) रोज़ा रखा भी है और इफ़्तार भी किया है। जो चाहे रोज़ा रखे और जो चाहे न रखे। (मुत्तफ़क़ अलैह)
Mishkat 2023
हज़रत अनस-बिन-मालिक कअबी (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : अल्लाह ने मुसाफ़िर से आधी नमाज़ ख़त्म फ़रमा दी जबकि मुसाफ़िर, दूध पिलाने वाली और हामला औरत से रोज़ा ख़त्म फ़रमा दिया। अबू-दाऊद और तिरमिज़ी और नसाई और इब्ने-माजा
Mishkat 2025
हज़रत सलमा-बिन-मोह्बिक़ (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : जिस शख़्स के पास सवारी हो जो उसका पेट भर दे वो रोज़े रखे जहाँ भी वो रमज़ान को पा ले।
Mishkat 2026*

(*यह हदीस जईफुल असनाद है।)

हज़रत जाबिर (र) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ फ़तह मक्का के साल रमज़ान में मक्का के लिये रवाना हुए तो आप ने रोज़ा रखा यहाँ तक कि आप मक़ाम कुराअल-ग़मीम पर पहुँचे सहाबा किराम (र) ने भी रोज़ा रखा हुआ था फिर आप ने पानी का प्याला मँगवाया उसे बुलन्द किया यहाँ तक कि सहाबा किराम ने उसे देख लिया। फिर आप ने उसे नोश फ़रमाया उसके बाद आप को बताया गया कि कुछ लोगों ने रोज़ा रखा हुआ है। (अभी तक इफ़्तार नहीं किया) तो आप ﷺ ने फ़रमाया : वो नाफ़रमान हैं। वो नाफ़रमान हैं। (मुस्लिम)
Mishkat 2027
हज़रत अब्दुर्रहमान-बिन-औफ़ (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : दौराने-सफ़र रमज़ान का रोज़ा रखने वाला हालते-क़ियाम में रोज़ा न रखने वाले की तरह है।
Mishkat 2028*

(*यह हदीस जईफुल असनाद है।)

हज़रत हमज़ा-बिन-अम्र असलमी (र) से रिवायत है कि उन्होंने कहा :अल्लाह के रसूल! में दौराने-सफ़र रोज़ा रखने की क़ुव्वत रखता हूँ। तो क्या (दौराने-सफ़र रोज़ा रखने पर) मुझे गुनाह होगा? आप ﷺ ने फ़रमाया : वो शानवाले अल्लाह की तरफ़ से एक रुख़सत (छूट) है। जिसने उसे ले लिया। तो उसने अच्छा किया और जो शख़्स रोज़ा रखना चाहे तो उसपर कोई गुनाह नहीं। (मुस्लिम)
Mishkat 2029