0 Comments हज़रत अबू-हुरैरा (र) बयान करते हैं कि जब नबी (ﷺ) नमाज़े-ईद के लिये तशरीफ़ ले जाते तो आप एक रास्ते से जाते और दूसरे रास्ते से वापस आते। तिरमिज़ी और दारमी Mishkat 1447 Tags: Eid ul Fitr