Maahe Ramdan Karim ka Chand

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हज़रत इब्ने-उमर (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : तुम रोज़ा न रखो यहाँ तक कि तुम (रमज़ान का) चाँद देख लो और रोज़ा रखना न छोड़ो, यहाँ तक कि तुम इस (शव्वाल के चाँद) को देख लो। अगर आसमान में बादल हों तो उसके लिये (तीस दिन का) अन्दाज़ा कर लो। और एक रिवायत में है। फ़रमाया : माह उन्तीस दिन का भी होता है। तुम रोज़ा न रखो यहाँ तक कि तुम इस (रमज़ान के चाँद) को देख लो अगर आसमान में बादल हों तो फिर तीस की गिनती मुकम्मल कर लो। (मुत्तफ़क़ अलैह)
Mishkat 1969
हज़रत अबू-हुरैरा (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : इस (रमज़ान के चाँद) को देखकर रोज़ा रखो और इस (शव्वाल के चाँद) को देखकर रोज़ा रखना छोड़ दो और अगर आसमान में बादल हों तो फिर शोबान की गिनती तीस तक मुकम्मल कर लो । (मुत्तफ़क़ अलैह)
Mishkat 1970
हज़रत इब्ने-अब्बास (र) बयान करते हैं कि एक देहाती नबी ﷺ ख़िदमत में हाज़िर हुआ। तो उसने कहा : मैंने रमज़ान का चाँद देखा है। आप ﷺ ने फ़रमाया : क्या तुम गवाही देते हो कि अल्लाह के सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं? उसने कहा : जी हाँ! आप ﷺ ने फ़रमाया : क्या तुम गवाही देते हो कि मुहम्मद ﷺ अल्लाह के रसूल हैं? उसने कहा : जी हाँ आप ﷺ ने फ़रमाया : बिलाल! लोगों में ऐलान कर दो कि वो कल रोज़ा रखें।
Mishkat 1978*

(*यह हदीस जईफुल असनाद है।)

हज़रत इब्ने-उमर (र) बयान करते हैं कि लोग चाँद देखने के लिये जमा हुए तो मैंने रसूलुल्लाह ﷺ को बताया कि मैंने उसको देख लिया है। आप ने रोज़ा रखा और लोगों को भी रोज़ा रखने का हुक्म फ़रमाया : अबू-दाऊद और नसाई
Mishkat 1979