Iftar ka Waqt hote hi Iftari kar liya karo

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हज़रत सहल (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : जब तक लोग इफ़्तारी करने में जल्दी करते रहेंगे वो ख़ैर और भलाई पर रहेंगे। (मुत्तफ़क़ अलैह)
Mishkat 1984
हज़रत अबू-हुरैरा (र) बयान करते रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : अल्लाह तआला फ़रमाता है : मुझे अपने वो बन्दे ज़्यादा महबूब हैं, जो उनमें से इफ़्तार करने में जल्दी करते हैं।
Mishat 1989*

(*यह हदीस जईफुल असनाद है।)

हज़रत अबू-हुरैरा (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : जब तक लोग इफ़्तार करने में जल्दी करते रहेंगे दीन ग़ालिब रहेगा क्योंकि यहूद और नसारा (इफ़्तार करने में) देरी करते हैं। अबू-दाऊद और इब्ने-माजा
Mishkat 1995
हज़रत अबू-अतिया (र) बयान करते हैं कि में और मसरूक़ आयशा (र) की ख़िदमत में हाज़िर हुए तो हम ने कहा : उम्मे-मोमिनीन! मुहम्मद ﷺ के सहाबा में से दो आदमी हैं। उन में से एक जल्दी इफ़्तार करते हैं। और जल्द ही नमाज़ (मग़रिब) पढ़ते हैं। जबकि दूसरे देर से इफ़्तार करते हैं। और देर से नमाज़ पढ़ते हैं। उन्होंने फ़रमाया : उन में से कौन जल्द इफ़्तार करता है और जल्द नमाज़ पढ़ता है? हमने कहा : अब्दुल्लाह-बिन-मसऊद (र) उन्होंने फ़रमाया : रसूलुल्लाह ﷺ ने भी ऐसे ही किया जबकि दूसरे अबू-मूसा (र) हैं। (मुस्लिम)
Mishkat 1996