रमदान करीम शुरू होने के साथ ही दूसरे गांव शहर के आमेलिन जकात सफीर जकात वसूली के लिए निकल पड़ते हैं। और गली गली घूमते हैं खास कर के मार्केट एरिया में जहां बड़ी बड़ी दुकान शो रूम और कारखाने होते हैं। और उन वेपरियों से 50-100-500-1000 या इस से भी ज्यादा रकम वसूली करते हैं। उनके पास एक रसीद बुक भी रहती है और ज्यादातर तो उनसे ने कोई रसीद मांगता है ना कोई ज्यादा तहकीक करता है कि कोनसे ईदारे से आए हैं किस जगह से आए है। बस दाढ़ी टोपी जुब्बा देख कर अपनी जकात उनको देदेते हैं और समझते है कि हमने अपना फारिजा अदा करदिया।
पूरे मुल्क में ऐसे लाखों करोड रूपए की जकात जाए चली जाती है। उनमें से बहुत से सही भी होते है पर ज्यादातर कमिशन एजेंट होते हैं। आप अपनी जकात किस को दे रहे हैं किस काम में दे रहे हैं वो आपको मालूम होना चाहिए। आप किसी भी इदारे में या जरूरतमंद को दें लेकिन आंख काम बंद कर के ना दें बल्कि पूरी तहकीक कर के दें। अगर जकात वसूली वाला आदमी और उसकी संस्था आपके इल्म में है तो करें वरना सब से पहले जिसका हक़ है जो आपके इल्म में है सब से पहले उसे दें। और अगर जकात वसूली करने वाला आपके पास आए और आपके इल्म में ना हो तो उसके ईदार संस्था को पूरी जानकारी उस से ले और हो सके तो उसके करंट अकाउंट में ऑनलाइन जकात दालें और उसकी रसीद उसके पास से लें अगर तो वो फर्जी आदमी रहेगा तो आपको ये डीटेल्स नही दे पाएगा। हरगिज़ ऐसे लोगों को नकद रकम ना दें। अपनी जकात सही हकदार तक पोहचाए। ये आपकी जिम्मेदारी है।जकात के असली हकदार कौन लोग है और किस को देनी चाहिए वो क़ुरान और हदीस में मोजूद है। आप हमारी वेबसाईट से मालूमात हासिल कर सकते हैं।