हज़रत अबू-हुरैरा (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : जो शख़्स ईमान-व-इख़लास और एहतिसाब के साथ रोज़े रखे तो उसके पिछले गुनाह माफ़ कर दिये जाते हैं। जो शख़्स ईमान और एहतिसाब के साथ रमज़ान में क़ियाम करे तो उसके पिछले गुनाह माफ़ कर दिये जाते हैं। और जो शख़्स ईमान और एहतिसाब के साथ शबे-क़द्र का क़ियाम करे तो उसके पिछले गुनाह बख़्श दिये जाते हैं। (मुत्तफ़क़ अलैह)