Qurbani – Sacrifice in Quran and Hadith

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Sacrifice in Quran and Hadith

सुरह हज आयत 36
और (कुरबानी के) ऊँटों को हमने तुम्हारे लिये अल्लाह के ‘शआइर’ में शामिल किया है, तुम्हारे लिये उनमें भलाई है तो उन्हें खड़ा करके उनपर अल्लाह का नाम लो, और जब (कुर्बानी के बाद) उनकी पीठें ज़मीन पर टिक जाएँ तो उनमें से ख़ुद भी खाओ और उनको भी खिलाओ जो क़नाअत किये बैठे हैं और उनको भी जो अपनी ज़रूरत पेश करें। इन जानवरों को हमने इस तरह तुम्हारे मातहत किया है, ताकि तुम शुक्रिया अदा करो।

आयत 37
अल्लाह को न उनके गोश्त पहुँचते हैं, न खून; मगर उसे तुम्हारा तक़वा पहुँचता है। उसने उनको (जानवरों को) तुम्हारे इस तरह मातहत किया है, ताकि उसकी दी हुई हिदायत पर तुम उसकी बड़ाई बयान करो। और ऐ नबी, ख़ुशख़बरी दे दो भले काम करनेवालों को।