हज़रत अबू-हुरैरा (र) बयान करते रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : जो शख़्स (रोज़ा की हालत में) झूट और बुरे काम तर्क नहीं करता तो अल्लाह को कोई ज़रूरत नहीं कि वो शख़्स अपना खाना-पीना तर्क कर दे। बुख़ारी
Mishkat 1999
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया, अगर कोई शख़्स झूट बोलना और दग़ा बाज़ी करना (रोज़े रख कर भी) न छोड़े तो अल्लाह तआला को उसकी कोई ज़रूरत नहीं कि वो अपना खाना पीना छोड़ दे।