ذَهَبَ الظَّمَأُ وَابْتَلَّتِ الْعُرُوقُ وَثَبَتَ الْأَجْرُ إِنْ شَاءَ الله
हज़रत इब्ने-उमर (र) बयान करते हैं कि जब नबी (ﷺ) रोज़ा इफ़्तार करते तो आप ये दुआ पढ़ा करते थे : प्यास जाती रही रगें तर हो गईं और अगर अल्लाह ने चाहा तो अज्र साबित हो गया। (अबू-दाऊद)
Mishkat 1993
اللَّهُمَّ لَكَ صَمْتُ وَعَلَى رِزْقِكَ أَفْطَرْتُ
हज़रत मुआज़-बिन-ज़ोहरा (र) बयान करते हैं कि नबी (ﷺ) जब इफ़्तार करते तो आप ﷺ ये दुआ पढ़ा करते थे : ऐ अल्लाह! मैंने तेरे ही लिये रोज़ा रखा और तेरे ही रिज़्क़ से इफ़्तार किया। अबू-दाऊद ने उसे मुरसल रिवायत किया है।
Mishkat 1994*
(*यह हदीस जईफुल असनाद है।)