हज़रत अबू-हुरैरा (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया जब रमज़ान की पहली रात होती है, तो शैतानों और सरकश जिन्नों को जकड़ दिया जाता है। जहन्नम के तमाम दरवाज़े बन्द कर दिये जाते हैं। उनमें से कोई दरवाज़ा नहीं खोला जाता और जन्नत के तमाम दरवाज़े खोल दिये जाते हैं। और उन में से कोई दरवाज़ा बन्द नहीं किया जाता और मनादी करने वाला ऐलान करता है : ख़ैर व भलाई के तालिब! आगे बढ़ और शर के तालिब! रुक जा और अल्लाह के लिये जहन्नम से आज़ाद किये हुए लोग हैं। और हर रात ऐसे होता है।
Mishkat 1960
हज़रत अबू-हुरैरा (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : माहे-मुबारक रमज़ान तुम्हारे पास आया है। अल्लाह ने इसका रोज़ा तुम पर फ़र्ज़ किया है। इसमें आसमान के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं। जहन्नम के दरवाज़े बन्द कर दिये जाते हैं। और सरकश शैतान बन्द कर दिये जाते हैं। इस (माह) में एक रात हज़ार महीनों से बेहतर है। जो शख़्स उसकी ख़ैर और भलाई से महरूम कर दिया गया तो वो (हर ख़ैर और भलाई से) महरूम कर दिया गया। अहमद और नसाई