Qurbani – Sacrifice – Benifit – In Quran and Hadith

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Sacrifice in Quran and Hadith

नमाज और कुरबानी का जिक्र एक साथ कुरान मजीद में।

सुरह कौषर आयत 2
पस तुम अपने रब ही के लिये नमाज़ पढ़ो और कुरबानी करो।

सुरह हज आयत 34
हर उम्मत के लिये हमने कुरबानी का एक क़ायदा तय कर दिया है; ताकि (उस उम्मत के) लोग उन जानवरों पर अल्लाह का नाम लें जो उसने उनको बख़्शे हैं। (इन अलग-अलग तरीक़ों के अन्दर मक़सद एक ही है) तो तुम्हारा ख़ुदा एक ही ख़ुदा है और उसी के तुम फ़रमाँबरदार बनो। और ऐ नबी, ख़ुशख़बरी दे दो आजिज़ाना रविश अपनानेवालों को,