Sacrifice in Quran – Surah saffat, Ayat 102 to 109
जीबहे अज़ीम – हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम के कुरबानी का तज्करा कुरान मजीद में।
सुरह सफ्फात आयत 102
वो लड़का जब उसके साथ दौड़-धूप करने की उम्र को पहुँच गया तो (एक दिन) इबराहीम ने उससे कहा, “बेटा!मैं ख़ाब में देखता हूँ कि मैं तुझे ज़बह कर रहा हूँ, अब तू बता, तेरा क्या ख़याल है?” उसने कहा, “अब्बाजान, जो कुछ आपको हुक्म दिया जा रहा है उसे कर डालिये। अल्लाह ने चाहा तो आप मुझे सब्र करनेवालों में से पाएँगे।”
आयत 103
आख़िरकार जब उन दोनों ने अपने आपको हवाले कर दिया और इबराहीम ने बेटे को माथे के बल लिटा दिया,
आयत 104
और हमने आवाज़ दी कि “ऐ इबराहीम,
आयत 105
तूने ख़ाब (सपना) सच कर दिखाया। हम नेकी करनेवालों को ऐसा ही बदला देते हैं।
आयत 106
यक़ीनन ये एक खुली आज़माइश थी।”
आयत 107
और हमने एक बड़ी क़ुरबानी फिदये में देकर उस बच्चे को छुड़ा लिया।
आयत 108
और उसकी तारीफ़ और नेकनामी हमेशा के लिये बाद की नस्लों (उम्मतों) में छोड़ दी।
आयत 109
सलाम है इबराहीम पर।