ईद के दिन खेल-कूद, खुशी, मसर्रत और फरहत से मुतल्लिक कुछ हदीसें हैं:
1. हब्शियों का ईद दिनों में खेल दिखाना
हज़रत आयशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) से रिवायत है: “एक बार ईद के दिन कुछ हब्शी (इथियोपियाई) लोग भाला फेंकने का खेल दिखा रहे थे। मैं रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पीछे खड़ी होकर उन्हें देख रही थी। जब मैं देखने से थक गई, तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने पूछा, ‘क्या अब बस?’ मैंने कहा, ‘हाँ।’ तब आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा, ‘ठीक है।'” 📖 (सहीह बुखारी: 950, सहीह मुस्लिम: 892)
🔹 इससे पता चलता है कि ईद के दिन मनोरंजन और खेलकूद की इजाजत है, बशर्ते वह इस्लामी शरीयत के दायरे में हो।
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2. हजरत अबू बकर (र.अ) का संगीत को रोकना और पैगंबर (ﷺ) का उस से इजाज़त देना।
हज़रत आयशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) से रिवायत है: “ईद के दिन अंसारी दो छोटी लड़कियाँ मेरे घर में जंगी तराने (युद्ध से संबंधित गीत) गा रही थीं। तभी अबू बक्र (रज़ियल्लाहु अन्हु) आए और कहने लगे, ‘रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के घर में यह शैतानी बाजे?’ इस पर नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा, ‘अबू बक्र! हर क़ौम की एक ईद होती है, और यह हमारी ईद है।'” 📖 (सहीह बुखारी: 952, सहीह मुस्लिम: 892)
🔹 यह हदीस बताती है कि ईद के दिन हल्का-फुल्का मनोरंजन मना नहीं है, जब तक कि वह शरीयत की सीमाओं में हो।
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3. ईद के दिन खुशी और मसर्रत।
रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया: “ईद के दिन रोज़ा मत रखो, क्योंकि यह खाने-पीने और अल्लाह को याद करने का दिन है।” 📖 (सुनन अबू दाऊद: 2419, इब्ने माजा: 1722)
🔹 इससे साबित होता है कि ईद का दिन खुशी और आनंद का दिन है, जिसमें खाने-पीने और मनोरंजन की इजाज़त है।
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4. छोटे बच्चों के लिए ईद का आनंद
हज़रत अनस (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है: “जब अल्लाह के रसूल (ﷺ) मदीना पहुंचे, तो लोगों के पास दो दिन थे जिनमें वे खेलते और खुश होते थे। आपने पूछा, ‘यह कौनसे दिन हैं?’ लोगों ने कहा, ‘ये हमारे (पुराने) त्योहार के दिन हैं।’ इस पर नबी (ﷺ) ने कहा, ‘अल्लाह ने तुम्हें इन दिनों के बदले दो बेहतर दिन दिए हैं: ईद-उल-फितर और ईद-उल-अज़हा।'” 📖 (सुनन अबू दाऊद: 1134, नसाई: 1556, अहमद: 12006)
🔹 इस हदीस से पता चलता है कि इस्लाम में ईद का दिन खुशी, खेल-कूद और उत्सव का अवसर है।
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सबक:
इन हदीसों से पता चलता है कि ईद के दिन खेल-कूद, मनोरंजन और खुशी मनाने की अनुमति है, बशर्ते वह इस्लामी दायरे में हो। विशेष रूप से बच्चों के लिए यह दिन आनंद और उत्सव का होता है।