हज़रत अबू-हुरैरा (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : इब्ने-आदम के हर नेक अमल को दस गुना से सात सौ गुना तक बढ़ा दिया जाता है। अल्लाह तआला फ़रमाता है : रोज़े के सिवा; क्योंकि वो मेरे लिये है और में ही उसका बदला दूँगा वो अपनी ख़ाहिश और अपने खाने को मेरी वजह से तुर्क करता है। रोज़ेदार के लिये दो ख़ुशियाँ हैं। एक फ़रहत और ख़ुशी तो उसके इफ़्तार के वक़्त है। जबकि एक ख़ुशी अपने रब से मुलाक़ात के वक़्त है। और रोज़ेदार के मुँह की बू अल्लाह के यहाँ मुश्क की ख़ुशबू से भी ज़्यादा बेहतर है। और रोज़ा ढाल है। जिस दिन तुममें से किसी का रोज़ा हो तो वो बद-गोई से बचे, अगर कोई उसे बुरा-भला कहे या उससे लड़ाई झगड़ा करे तो वो कहे कि में रोज़ेदार हूँ। (मुत्तफ़क़ अलैह)