दलील वाला इल्म और मनोरंजन (एंटरटेनमेंट) वाला इल्म – एक जरूरी फासला
आज के डिजिटल युग में ज्ञान (इल्म) तक पहुँच आसान हो गई है, लेकिन असली सवाल यह है कि हम किस तरह का इल्म हासिल कर रहे हैं? क्या हम दलील वाले इल्म की तलाश में हैं या सिर्फ़ एंटरटेनमेंट वाले इल्म से प्रभावित हो रहे हैं?
दलील वाला इल्म
दलील वाला इल्म वह है जो कुरआन और हदीस से प्रमाणित हो, जिसे प्रामाणिक स्रोतों से लिया गया हो और जिसे इस्लामिक विद्वानों (उलेमा) द्वारा दिया गया हो। ऐसी पोस्ट, स्टेटस या रील्स जो किसी बात को कुरआन और हदीस की रोशनी में दलील के साथ पेश करें, वे केवल इल्म नहीं बल्कि सदका ए जारिया भी बन सकती हैं।
अगर आप किसी ऐसी पोस्ट को समझकर, दिल से स्वीकार करके अपनी जिंदगी में अपना लें, तो यह आपके लिए लाल ऊंटों से बेहतर है। जैसा कि नबी ﷺ ने फ़रमाया:
“अगर अल्लाह तुम्हारे ज़रिए किसी एक शख्स को हिदायत दे दे, तो यह तुम्हारे लिए लाल ऊंटों से बेहतर है।” (सहीह बुखारी)
एंटरटेनमेंट वाला इल्म
दूसरी तरफ़ एंटरटेनमेंट वाला इल्म है, जिसमें अक्सर: ✅ कोई प्रमाण (दलील) नहीं होता ✅ बस अच्छे विजुअल इफ़ेक्ट, बैकग्राउंड म्यूज़िक, या नात शरीफ होती है ✅ फ़रिश्तों या बुज़ुर्गों की तस्वीरें होती हैं ✅ अंबिया, सहाबा, या अहले बैत की सूरतें (face), जिस्म दिखाई जाती हैं ✅ इसे बनाने वाले लोग आमतौर पर इस्लामिक विद्वान (आलिम) नहीं होते, बल्कि सिर्फ़ व्यूज़ और सब्सक्राइबर्स बढ़ाने वाले व्लॉगर या इन्फ्लुएंसर होते हैं
इस तरह के कंटेंट में लोग भावनाओं में बहकर बिना सोचे-समझे शेयर कर देते हैं। जबकि इसमें असली इल्म का कोई संबंध नहीं होता, बल्कि कई बार यह इस्लामिक रूप से गलत और गुनाह का कारण भी बन सकता है।
आम लोगों का रवैया
अजीब बात यह है कि जो असली इल्म है, जो हिदायत और आख़िरत की भलाई का ज़रिया है, उसे लोग या तो नज़रअंदाज़ कर देते हैं या उसे समझने में आलस दिखाते हैं। लेकिन जो चीज़ सिर्फ़ अच्छी लगती है, जो बस भावनाओं को भड़काती है, उसे बिना जांच-पड़ताल के तुरंत शेयर कर दिया जाता है।
सावधान हो जाइए! कहीं ऐसा न हो कि आप सिर्फ़ दिखावे या भावनाओं में बहकर ऐसा कंटेंट शेयर कर बैठें जो आपको गुनाह का ज़रिया बना दे।
हमें क्या करना चाहिए?
✅ जांच करें: जो भी इस्लामिक कंटेंट शेयर करें, उसका स्रोत (सोर्स) चेक करें। ✅ प्रामाणिक विद्वानों की बातें सुनें: सिर्फ़ वायरल कंटेंट पर भरोसा न करें। ✅ कुरआन और हदीस को समझने की कोशिश करें: न कि सिर्फ़ मन को भाने वाली बातों को फॉलो करें। ✅ सदका ए जारिया का कारण बनें: सिर्फ़ वही इल्म शेयर करें जो असली प्रमाण पर आधारित हो।
सबक
अगर आप असली इल्म (दलील वाले इल्म) को छोड़कर सिर्फ़ मनोरंजन (एंटरटेनमेंट) वाले इल्म की तरफ़ चले गए, तो यह सिर्फ़ दुनिया का नहीं बल्कि आख़िरत का भी नुकसान है। सोशल मीडिया पर वही कंटेंट शेयर करें जो कुरआन और हदीस से प्रमाणित हो, ताकि आप खुद भी और दूसरों के लिए भी हिदायत का कारण बन सकें।