हज़रत आयशा (र) बयान करती हैं कि अबू-बक्र (र) तशरीक़ के दिनों में उन के पास आए तो उन के यहाँ दो बच्चियाँ दफ़ बजा रही थीं और एक दूसरी रिवायत में है : वो जंगे-बुआस में अंसार के कारनामों के बारे में गीत गा रही थीं जबकि नबी (ﷺ) ने अपने ऊपर एक कपड़ा लपेट रखा था अबू-बक्र (र) ने उन बच्चियों को डाँटा तो नबी (ﷺ) ने अपने चेहरे से कपड़ा उठा कर फ़रमाया : अबू-बक्र ! उन्हें छोड़ दो ये तो ईद का दिन है। और एक दूसरी रिवायत में है : अबू-बक्र! हर क़ौम की ईद होती है और ये हमारी ईद है। (मुत्तफ़क़ अलैह)