रमजान के बरकत वाले महिने मैं अलहमदुलिल्लाह मुसलमान लाखों करोडों रुपय की ज़कात निकाल देते हैं, लेकिन फिर भी 80% गरीबों की परेशानी हल नहीं होती। आये दिन मेडिकल सेवा के लिये एज्युकेशन सेवा के लिये ज़कात की पुकार आती रहती है। इसकी वजह ये भी है की अल्लाह की राह में दिया हुआ माल सही जगह नहि लगता और उसके हकदार तक नहीं पहुंचता।
अब तो शोशियल मिडिया पर ऐसी खबरें भी आती है की गीर कौम के लोग भी मुस्लिम भेस मैं मुसलमान इलाक़ों में से ज़कात का माल बटोर ते हैं। काफी सारे बहरूपिये जुब्बा टोपी पहन कर मदरसों के नाम पर बनावटी रसीद दे कर भी माल हड़प कर ते हैं।
ज़कात अदा कर ने वाला सिर्फ रुपय देके अपने हाथ उपर कर लेता है। अगर ज़कात अदा कर ने वाले इसमे थोडी सी एहतियात करें तो काफी हद तक अपका माल जरूरत मंद लोगों तक पहुंच सकता है।
ज्यादतर ज़कात मदारिस में जाती है जहा बच्चे इल्मे दीन हासिल कर रहे होते हैं। उसके अलावा गली कुचों के भिखारी और कुछ जान पहचान वाले।उसके बाद ट्रस्ट ऑफिस में आये दिन जरुरतमंद लोग राब्ता कर ते हैं की बच्चे की स्कुल फी का कोई इन्तेजाम हो जाये, कोई अस्पताल में बिमार है कुछ इलाज के लिये मदद मिल जाये, कोई को हमेशा के लिये कोई छोटा सा कारोबारी मदद मिल जाये, किसी की बच्ची की शादी में मदद मिल जाये वगेरह…इन तमाम बातों को मद्दे नज़र रखते हुए पैगामे सैयद चेरीटेबल ट्रस्ट ने ऐसा इन्तेजाम किया है की आप का राहे खुदा मैं निकाला हुआ माल जरुरतमंद तक पहुंच जाए।
मौजुदा हालात को मद्दे नज़र रखते हुए दुनियवी तालीम हासिल कर ना बहुत ही जरुरी हो गया है। हमारे समाज को एज्युकेशन की सख्त जरुरत है वहां कुछ होनहार विध्यार्थी रुपय की कमी के खातिर अपना एज्युकेशन मुकम्मल नही कर पाते और गेरेज और चाय की किट्टी पर अपनी जिंदगी गुजार देते हैं। हम ऐसे लोगों की मदद को आना चाहते हैं जो अपके साथ सहकार के बगैर मुमकिन नहीं है। लिहाजा अपनी ज़कात सदकात लिल्लाह की रकम पैगामे सैयद वेरीटेबल ट्रस्ट मैं जमा करवाएं।
100% दान नीति में आपका दिया हुआ कुल माल सीधा जरूरतमंद को अदा किया जाता है।